वो दिन ही कुछ और थे,
जब ख्वाबो में भी नहीं सोचे थे कभी,
कि दूर तुम कभी हमसे हो जाओगे
वो दिन ही कुछ और थे,
जब एक दिन एक पल न था तेरे बिना,
लगता न था जुदा तुम भी हो जाओगे,
आज की दास्ताँ को मैं कैसे कहूँ,
खो गए हो कहाँ नहीं हम जानते,
याद करके वो पल आज रोते हैं हम,
यादों में तेरी अब तड़पता है मन,
दुआ करते हैं अपने खुदा से ये हम,
चाहे ले लो मुझसे दुनिया की हर ख़ुशी,
पर लौटा दो मुझे वो गुजरे हुए पल,
उन लम्हों के लिए है सब कुछ कुर्बान,
क्योंकि कैसे कहें हम की वो दिन ही कुछ और थे |
जब ख्वाबो में भी नहीं सोचे थे कभी,
कि दूर तुम कभी हमसे हो जाओगे
वो दिन ही कुछ और थे,
जब एक दिन एक पल न था तेरे बिना,
लगता न था जुदा तुम भी हो जाओगे,
आज की दास्ताँ को मैं कैसे कहूँ,
खो गए हो कहाँ नहीं हम जानते,
याद करके वो पल आज रोते हैं हम,
यादों में तेरी अब तड़पता है मन,
दुआ करते हैं अपने खुदा से ये हम,
चाहे ले लो मुझसे दुनिया की हर ख़ुशी,
पर लौटा दो मुझे वो गुजरे हुए पल,
उन लम्हों के लिए है सब कुछ कुर्बान,
क्योंकि कैसे कहें हम की वो दिन ही कुछ और थे |