Sunday, June 8, 2014

खुद ही यहाँ मिट जायेंगे

ये रास्ते हैं अनजाने से,
है अजब मोड़ से भरे हुए
ना देखा हमने, ना ही जाना,
हर पथ क्या समेटे किसके लिए 
गुमनाम सी इन राहों में,
चले जा रहे हम हर पल,
जाने को चाहें हम कहीं और
पहुँच जाते मंजिल एक अलग,
इन राहों से टकराने का
बस एक नतीजा मिलता है 
बिखर गया जीवन उसका,
जो राह तोड़ कर चलता है 
ये राह जिंदगी की ऐसी,
कुछ नए रास्ते बनते हैं,
ये नए रास्ते बनाने को,
संघर्ष मनुज ही करते हैं ।
प्रकाश बनो या बनो शिला,
ये राह नहीं मिट पायेगी 
जो मिटाने बैठे इन राहों,
वो खुद ही यहाँ मिट जायेंगे

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