Monday, December 30, 2013

फिर से

एक हसीं जिंदगी ग़मगीन बन जाती है ,
जिस्म से रूह तक बस तड़प रह जाती है,
किसी शैतान के दुस्कर्मो की सजा,
जब कोई मासूम अबला पाती है ।

भीड़ आयी श्रद्धांजलि देने, उसको जो ये जुल्म सही, 
लगा कि जैसे जाग गया, सोता सा इंसान कहीं,
ये खबर देखकर पढ़कर के, दिल को मेरे कुछ सुकून हुआ,
लगा कि ये शुरूआत हुयी, होगा न अब जो अभी तक हुआ,
पर नीचे की छोटी सी, खबर ने ये सपना चूर किया,  
तीन बरस की बच्ची का, फिर से आज दुस्कर्म हुआ ।

Sunday, December 29, 2013

गिनती ही नहीं होती

सपने देखना क्या बुरी बात है, 
सूनी सी आँखें कहती हैं ये,
दिल में कुछ बनने की चाह है लेकिन, 
मज़बूरी पे अपनी सिसकतीं हैं ये,
रात-दिन एक करके लगे रहते हैं, 
नसीब होती है तब दो जून की रोटी,
देखते हैं ख्वाबों में हर दिन हर पल, 
जागेगी कब इनकी किस्मत सोती।

कसूर है इनका तो बस इतना सा, 
जन्मे हैं ये फुटपाथ पर,
देखा ही नहीं जीवन में अपने, 
होता है कोई अपना भी घर,
कहने को हम देते हैं आरक्षण, 
जिनको इसकी जरुरत है होती,
सच तो ये है जरूरत है जिनको, 
उनकी तो कोई गिनती ही नहीं होती ।

Saturday, December 28, 2013

एक पल भी नहीं रहना

मेरे साथी मेरे हमदम मुझे छोड़ के मत जाना,
तेरे साथ से जीते हैं, मुझे गम से नहीं मरना
बस एक तमन्ना है, तेरा साथ रहे हर पल,
तेरे वगैर मुझे एक पल भी नहीं रहना ।

कोई खता हुयी मुझसे, तो सजा कोई भी दो
पर साथ रहो मेरे, तुम जुदा कभी न हो,
तू मेरी जिंदगी है, तू मेरी हर ख़ुशी है,
तेरी सूरत देखूँ  तो, हर सुबह मेरी तब हो।
इस भोली सी सूरत पे, मेरी जान भी है कुर्बान,
तेरे वगैर मुझे एक पल भी नहीं रहना ।