Thursday, April 30, 2015

फिर किसी बहाने से

एक बार बस मुस्कुरा तो दो,
आज फिर किसी बहाने से,  
क्या मिलता है आपको सनम,
हमें यूँ ही आजमाने से,
एक बार बस मुस्कुरा तो दो,
आज फिर किसी बहाने से।

माना कि हम हर पल,
तेरे दीदार को तरसते हैं,
जिस रास्ते है तेरा घर,
बेवजह उसी रास्ते से गुजरते हैं।
कभी आहट तो दो अपने आने की,
आस लगा के बैठे हैं जमानो से,
एक बार बस मुस्कुरा तो दो,
आज फिर किसी बहाने से।

जानते हैं की बहुत सारे हैं,
दुनिया में तेरे चाहने वाले,  
पर जो साथ दे हमेशा तेरा,
मिलेंगे नही चाहे दुनिया खंगाले,
बस मेरा हाथ थामके तो देखो,
छोड़ेंगे नही दुनिया के आजमाने से,
एक बार बस मुस्कुरा तो दो,
आज फिर किसी बहाने से।

तेरी सूरत पे तो लाखों फ़िदा हैं,
हम तो तेरी सीरत के कायल हैं,
ये क्या यह तो नहीं जानते,
चोट लगे तुझे और होते हम घायल हैं,
रब सलामत रखे युहीं हमेशा तुझको,
गम को रखे दूर सदा तेरी राहों से,
एक बार बस मुस्कुरा तो दो,
आज फिर किसी बहाने से।  

Friday, April 17, 2015

कभी तो मिलेगी

किसी की मुस्कान के लिए हम इस कदर बेताब हैं,
कि हर पल बस उनको ही तके जा रहे हैं,
वो जानते हैं और फिर भी अनजान हो बैठे हैं,
और हम हैं कि उन पर मरे जा रहे हैं । 

वजह क्या है उनकी इस बेरुखी की,
हमको तो इसकी खबर ही नहीं है,
मेरे दिल में उनकी ही सूरत बसी है,
और उनको हमारी कदर ही नहीं है ।

आएगा एक दिन वो पल भी लेकिन,
जिस दिन मिलेगी वो मुस्कान उनकी,
उसी एक पल को बैठा हूँ कब से मैं यूँही,
कभी तो मिलेगी ये चाहत उन्ही की ।

Sunday, April 5, 2015

सूनी सी इन आँखों ने

सूनी सी इन आँखों ने, सपने तो बहुत देखे हैं,
पर सपने तो बस सपने हैं, वो सच कहाँ होते हैं। 
आस राहों में लगाकर , तक के तो बैठे हैं,
थाम कर कोई हाथ चल दे, ऐसे लोग कहाँ होते हैं । 
सपने महलों के नहीं बस, एक पक्के घर की चाह है ,
रात को छत मिल जाए, ऐसे दिन कहाँ होते हैं । 
शाही खाने की उम्मीद नहीं, बस पेट भर की चाह है,
पर क्या करें हर रात को, खाली पेट ही हम सोते हैं। 
ख्वाब हम देखे नहीं,  बहुत पढ़ने लिखने के कभी, 
खुद का नाम लिखना सीखने की चाह में रोते हैं ।
आशा हमको है नहीं कि, पूछेंगे हमारी ख्वाहिशें,
बस गिनती हो हमारी, ऐसी आस हम संजोते हैं । 
सपना है कभी कि कुछ, बड़ा हम कर जायेंगे,
पर हक़ीक़त देखकर हम, भाग्य पर रोते हैं ।
सूनी सी इन आँखों ने, सपने तो बहुत देखे हैं,
पर सपने तो बस सपने हैं, वो सच कहाँ होते हैं।