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Free spirited Hindi writings.
Sunday, March 21, 2021
दुनिया मुखौटे वाली है
Saturday, June 6, 2020
दस्तक है सुहाने मौसम की
Monday, May 25, 2020
क्या मौका मिला है हमको
Friday, December 1, 2017
पता ना चला कब बड़े हो गये
पता ना चला कब बड़े हो गये,
घुटनो के बल थे खड़े हो गये,
दुनिया ने ठोकर दी हमको ऐसी,
चले थे कहां और कहीं खो गये।
लगता था मंजिल बस सामने है,
होना बड़ा ही है मंजिल हमारी,
बचपन की ख्वाहिश इतनी सी थी कि,
आये त्वरित सी जवानी हमारी।
था सोचा जिएंगे मस्ती भरे दिन,
नहीं होगा कोई फिर टोकने को,
पता था नही कि ना मौका मिलेगा,
उलझती रहेगी बस जिन्दगी तो।
बची तो अभी भी ये जिन्दगी है,
जी लो जवानी बचपन के जैसे,
गुजर जायेंगे ये भी पल जिन्दगी के,
सुकूँ कीमती है, निरर्थक हैं पैसे।
Thursday, November 30, 2017
कुछ लम्हे फिर से है दिला दो
जीवन की इस दौड़ भाग में,
थक से गये हैं पांव हमारे,
थोड़ा सा गर जी लेंगे तो,
ना बिखरेंगे हम बेचारे,
नहीं चाहिये दौलत हमको,
बस थोडा सा सूकून दिला दो,
बीत गये जो पल जीवन के,
कुछ लम्हे फिर से है दिला दो।
मिल जाता सब कुछ जीवन में,
वक़्त निकल बस जाता है,
पीछे भागे जिन चीजों के,
रखा यूं ही रह जाता है,
आयी जब ये समझ हमेंं है,
नहीं जानते जायें कहां,
जीवन फिर से जहां हैं जी लें,
लेकर कोई चले वहाँ।
Thursday, November 23, 2017
जिन्दगी ही मिलेगी
बहुत कर लिया कुछ जो करना ना चाहा,
जीवन में छाया है अंधियारा साया,
बँधकर है रहते हो मजबूरियों में,
तन्हा से रहते हो अब दूरियों में।
ये मंजिल से रिश्ता है ऐसा हमारा,
बिना इसके हैं अपना जीवन गंवारा,
चाहो भी तो भूल सकते इसे ना,
मिलेगा बिना इसके तुझको सुकूँ ना।
कदम जो चले दूर इससे कभी भी,
वो खो जाते हैं ऐसा करते तभी ही,
हुआ है जो ऐसा तो रोको ना खुद को,
अभी वक़्त है तुम जो मुड़ जाओ गर तो।
कब तक अंधेरे में चलते रहोगे,
ना सम्भ्लोगे तुम और गिरते रहोगे,
ना मंजिल तुम्हे ना खुशी ही मिलेगी,
सम्भ्लोगे तो जिन्दगी ही मिलेगी।
Monday, November 20, 2017
काले व्यापार को
सरकार कुछ करती नहीं, यह जाप करते रहे,
थोडा आन्दोलन किया और शोर करते गये,
विचलित थे कि देश में कुछ करने का अवसर नही,
बिना रिश्वत दिये इक फ़ाईल भी हिलती नहीं,
कहते हैं कि यह कुर्सी का सब दोष है,
बैठता है जो भी, वो खो जाता होश है,
आज तक ऐसी कोई सरकार नहीं हुयी,
बता सके अपना दुख जिसको कि हर कोई,
मलाल था उनको और था दुख का था साया,
इतने में ही रिश्वतखोरों पर सरकारी कहर छाया,
पकड़े गये वो लाखों की कालाबाजारी करते हुये,
कोशिश की रिश्वत देने की, पर कोई अफसर ना लिये,
कहने लगे कि ऐसा तो किसी ने अब तक नहीं किया,
छोटा मोटा खिलाकर हमने अपना हर धन्धा किया,
इसिलिए नहीं हमने चुना था इस सरकार को,
चलने ना दे हमारे ये काले व्यापार को।
Saturday, November 18, 2017
वो सुनते हैं बस निज मन की
क्यों जीते हो मरते मरते,
और नित नित शीश झुकाते हो,
नहीं लगे तुम्हारा मन फिर भी,
तुम कुछ भी करते जाते हो,
सोचते हो कि अच्छा होगा,
आने वाला कोई पल यूं ही,
कुछ भी ना अलग तुम करते हो,
बदलेगा जीवन क्यों ही,
जीवन हैं तुम्हारा पत्तों सा,
जो गिरा टूटकर डाली से,
नही जानते हो जाओगे कहां,
बस पड़े हुये हो खाली से,
जो बनना है तो बीज बनो,
खुद की तकदीर लिखो खुद से,
सीना है चीरो भूमि का,
तभी फूटेगा जीवन तुमसे,
सुनना ना कभी तुम औरों की,
वो देंगे तुम्हे निराशा ही,
जो बदलते हैं इस दुनिया को,
वो सुनते हैं बस निज मन की।
Friday, May 19, 2017
अर्ज़ी इश्क की...
बेजुबान बनके बैठा है महफ़िल में,
खुश है सभी मेरा साथ पा कर ,
न जाने मेरा ही दिल है उदास
कहता है मुझसे एक बात ह ख़ास
बिछडोगे तो दर्द उनको भी होगा और तुमको भी,
फिर भी नियति क साथ रहकर खुश है सभी
वो खुश है पर में हु उदास ,
क्युकी माना है मेने उन्हें सबसे ख़ास
लोगो को यह एहसास जिंदगी भर न हो ,
पर रहेंगे वो हमेशा हमारे साथ
कब होगी ख़तम ये तलाश ,
बस यही एक गम है ख़ास
तभी कहते ,,,,
एक दर्द छिपा बैठा है दिल में ||
आदत नहीं मेरी ....
तेरी हँसी छीन कर मुस्कुराना आदत नहीं मेरी ,
तुझे हसकर रुलाना आदत नहीं मेरी ,
तुझसे वफ़ा के वादेकर बेवफाई करना आदत नहीं मेरी ,
जो तू रूठा है मुझसे कोई तो खता है मेरी ,
मेरी हर रूह हर सांस अब तो है तेरी ,
तुझसे रूठ जाना आदत नही मेरी ,
तेरी हँसी छीन क्र मुस्कुराना आदत नही मेरी ||
"न जाने क्यूँ" एक सवाल जिंदगी से इस लेख के लिए ....
Wednesday, December 16, 2015
कुछ तुम कह दो
इस ख़ामोशी को अब ख़ामोशी न रहने दो,
दिल में जो एहसास है उसे दिल में क्या रखना,
शब्दों की धारा इन लबों से बहने दो ।
चलते हैं हमसफ़र साथ में जब,
चुप्पी राहों को कठिन ही बनाये,
दो लफ्ज चल जाए उस दूरी को,
जो कोई और भी चल न कर पाये,
मन में जो आये उस लबों पे रखो,
दिल की बातों को दिल में रहने दो,
कुछ मैं कहूँ और कुछ तुम कह दो,
इस ख़ामोशी को अब ख़ामोशी न रहने दो,
Sunday, November 1, 2015
क्यों?
पर सवाल मेरा है कि आखिर क्यों?
क्या दिया है उसने जो देती नहीं ये धरती,
जमीन बांटने का फिर शौक चढ़ा था क्यों?
कहते हैं बड़े कि धर्म का पालन करो,
उपवास रखो या फिर रोजे करो,
सिखाया क्या उसने जो इंसानियत नही सिखाती,
विचार बांटने का फिर शौक चढ़ा था क्यों?
भाषा का ईजाद किया तो खुश हो गए,
पर इतनी कि एक दूजे को समझ नही सकते,
बेहतर वो हैं जिनकी एक भाषा है,
फिर भी अपनी पीठ थपथपाते हैं क्यों?
सुना है कि इंसान महान प्राणी है,
सभी जानवरो से ये कहीं बेहतर है,
दिमाग चलाया तो बिना बात के लड़ने लगा,
इंसान होकर "टूटे" तो फिर महान क्यों?
देश,धर्म, भाषा सब एक जैसे हैं,
इंसान को इंसान से दूर करते हैं,
अगर एक होते तो इतने झगडे न होते,
फिर और बांटने की चाह हमें है क्यों?
Thursday, September 10, 2015
जिसे जो कहना है कहता है
जिसे जो कहना है कहता है,
मेरी आँखों में सपने तेरे,
Saturday, August 15, 2015
कोई मिला है
दिल में समाया है ,अपना बनाया है।
मेरी धड़कन में , मेरी तड़पन में,
हर लम्हा अब वो ही बस छाया है।
कोई मिला है , मुझे वो भाया है ,
दिल में समाया है, अपना बनाया है।
नहीं खबर है मुझको ज़माने की,
करना क्या है मुझको इससे ,
जिसको मैने दिल ये दिया है,
मुझे तो अब मतलब है उससे,
यही अब अरमा है, यही तमन्ना है,
बाँहो में भरने को मन ललचाया है।
कोई मिला है , मुझे वो भाया है,
दिल में समाया है, अपना बनाया है।
दिल में एक तूफां सा है अब,
उसकी ही जैसे कमी थी अब तक,
कभी तो आएगी सोचा था मैंने,
हो जाऊंगा जिसमे ही मैं रत,
नहीं कभी जाने दूंगा में उसको,
जिसने मुझको इतना सताया है।
कोई मिला है , मुझे वो भाया है,
दिल में समाया है, अपना बनाया है।
Thursday, August 6, 2015
कुछ पल की यह जिंदगानी है
इक छोटी अधूरी कहानी है,
हर लम्हा जी लो जी भर कर,
वापस न फिर यह आनी है ।
कुछ पल की यह जिंदगानी है।
क्या पाओगे तुम रोकर के,
बस खो दोगे कुछ लम्हे ये,
जो मिले हैं तुम्हे वो कम ही हैं,
क्यों बिताओ न खुश रहकर के,
ख़ुशी मिलती नही बस रोने से,
यह आदत इसकी पुरानी है,
कुछ पल की यह जिंदगानी है.।
कोई गम भी दे तो सह लेना,
कभी आँखों से पानी गिराना मत,
कर लोगे तुम बस इतना अगर,
युहीं जायेगा ये सफर फिर कट,
गम और ख़ुशी दो पहलू हैं,
जीवन की यही निशानी है,
कुछ पल की यह जिंदगानी है.।
Monday, July 20, 2015
दुनिया उनकी मेहरबान है
पर खुद पर ही अभिमान है,
चलते हैं जैसे चलाते जग,
और इसी की झूठी शान है।
कहते हैं दिया है हमने बहुत,
दुनिया को हम पर नाज है,
नही हुआ कभी ऐसा कोई,
बस बोलता जिसका काज है,
ये शोर मचाते फिरते हैं,
करते हैं लेकिन कुछ भी नहीं,
है दोष लगाते औरों पर,
कि करने देते कुछ भी नहीं,
जो करते हैं वो बोले नहीं,
कर्म ही उनकी जुबान है,
ये कर्मी ही है चलाते जग,
दुनिया उनकी मेहरबान है।
Thursday, July 9, 2015
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की
सोचता हूँ बहुत ऊंचा उड़ने की,
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की,
पंख नहीं है आज परवाह नही है,
उड़ने के लिए पंख नहीं चाहिए,
बस थोड़ा हौसला ही काफी है,
उड़ने को एक मन निडर चाहिए,
आये कोई तूफ़ान तो आ जाने दो,
गिरे गर आसमान तो गिर जाने दो,
उसी तूफ़ान को अपने पंख बना लूंगा,
मौत अगर टकराये तो टकराने दो ।
पाना है वही जो लगता नामुमकिन है,
कोशिश करे कोई कितना भी रोकने की,
नजर है वहीँ जहाँ मंजिल मेरी है,
फुर्सत नहीं और कुछ भी सोचने की ।
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की।
Thursday, May 28, 2015
तेरी मंजिल अभी भी दूर है
तेरी मंजिल अभी भी दूर है,
नहीं सुनना बातें दुनिया की,
तुझे रोकने को मजबूर है,
तू अथक परिश्रम करता है,
ये इससे देखा जाता नहीं,
कहती है कि ये साथ में है,
पर करनी इसकी और कहीं,
करना वो जो मन में आये,
चाहे कहे कोई की गलत है ये,
करना तुम भरोसा खुद पे ही,
जब घडी फैसले की आये,
पाओगे मंजिल खुद से ही,
दुनिया का यही उसूल है,
नहीं रुकना कभी भी राहों में,
तेरी मंजिल अभी भी दूर है।
Saturday, May 23, 2015
यूँ ही चलती रहे ये जिंदगी
ये रुके न किसी के रोकने से,
ये अलग थलग कर दे तुझको,
जो चलो न लेकर साथ इसे,
वो हँसे जो चलता साथ में हैं,
नहीं रुकता थककर हारने से,
वो रोता है पथ में गिरकर,
जो छोड़ के इसका हाथ चले।
कभी दर्द भरे पल देती ये,
कभी खुशियों का एहसास भरे,
जो भागे दर्द से जितना ही,
खुशियों को उतना दूर करे।
गर पाना है पल खुशियों के,
सहने होंगे पल दर्द भरे,
जो सहे उसे मिलती है ख़ुशी,
जो भागे हर पल रुदन करे।
यूँ ही चलती रहे ये जिंदगी,
ये रुके न किसी के रोकने से।
करना जो है वो आज करो,
कल आया कभी न आएगा,
जो इंतज़ार करता इसका,
वो बाद में बस पछतायेगा।
पल पल करके यह जिन्दगी,
है दूर कहीं बढ़ जाएगी,
बस अंधकार होगा फिर बस,
मंजिल न नजर कहीं आएगी,
अभी पल है कुछ करके जाओ,
होगा न फिर कुछ रोने से,
यूँ ही चलती रहे ये जिंदगी,
ये रुके न किसी के रोकने से।