Monday, July 20, 2015

दुनिया उनकी मेहरबान है

कुछ धुंधली सी पहचान है,
पर खुद पर ही अभिमान है,
चलते हैं जैसे चलाते जग,
और इसी की झूठी शान है। 
कहते हैं दिया है हमने बहुत,
दुनिया को हम पर नाज है,
नही हुआ कभी ऐसा कोई,
बस बोलता जिसका काज है,
ये शोर मचाते फिरते हैं,
करते हैं लेकिन कुछ भी नहीं,
है दोष लगाते औरों पर,
कि करने देते कुछ भी नहीं,
जो करते हैं वो बोले नहीं,
कर्म ही उनकी जुबान है,
ये कर्मी ही है चलाते जग,
दुनिया उनकी मेहरबान है। 

Thursday, July 9, 2015

ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की

कहते है सपने देखता हूँ बहुत मैं,
सोचता हूँ बहुत ऊंचा उड़ने की,
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की,

पंख नहीं है आज परवाह नही है,
उड़ने के लिए पंख नहीं चाहिए,
बस थोड़ा हौसला ही काफी है,
उड़ने को एक मन निडर चाहिए,

आये कोई तूफ़ान तो आ जाने दो,
गिरे गर आसमान तो गिर जाने दो,
उसी तूफ़ान को अपने पंख बना लूंगा,
मौत अगर टकराये तो टकराने दो । 

पाना है वही जो लगता नामुमकिन है,
कोशिश करे कोई कितना भी रोकने की,
नजर है वहीँ जहाँ मंजिल मेरी है,
फुर्सत नहीं और कुछ भी सोचने की । 
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की।