Thursday, November 30, 2017

कुछ लम्हे फिर से है दिला दो

जीवन की इस दौड़ भाग में,
थक से गये हैं पांव हमारे,
थोड़ा सा गर जी लेंगे तो,
ना बिखरेंगे हम बेचारे,
नहीं चाहिये दौलत हमको,
बस थोडा सा सूकून दिला दो,
बीत गये जो पल जीवन के,
कुछ लम्हे फिर से है दिला दो।

मिल जाता सब कुछ जीवन में,
वक़्त निकल बस जाता है,
पीछे भागे जिन चीजों के,
रखा यूं ही रह जाता है,
आयी जब ये समझ हमेंं है,
नहीं जानते जायें कहां,
जीवन फिर से जहां हैं जी लें,
लेकर कोई चले वहाँ।

Thursday, November 23, 2017

जिन्दगी ही मिलेगी

बहुत कर लिया कुछ जो करना ना चाहा,
जीवन में छाया है अंधियारा साया,
बँधकर है रहते हो मजबूरियों में,
तन्हा से रहते हो अब दूरियों में।

ये मंजिल से रिश्ता है ऐसा हमारा,
बिना इसके हैं अपना जीवन गंवारा,
चाहो भी तो भूल सकते इसे ना,
मिलेगा बिना इसके तुझको सुकूँ ना।

कदम जो चले दूर इससे कभी भी,
वो खो जाते हैं ऐसा करते तभी ही,
हुआ है जो ऐसा तो रोको ना खुद को,
अभी वक़्त है तुम जो मुड़ जाओ गर तो।

कब तक अंधेरे में चलते रहोगे,
ना सम्भ्लोगे तुम और गिरते रहोगे,
ना मंजिल तुम्हे ना खुशी ही मिलेगी,
सम्भ्लोगे तो जिन्दगी ही मिलेगी।

Monday, November 20, 2017

काले व्यापार को

सरकार कुछ करती नहीं, यह जाप करते रहे,
थोडा आन्दोलन किया और शोर करते गये,
विचलित थे कि देश में कुछ करने का अवसर नही,
बिना रिश्वत दिये इक फ़ाईल भी हिलती नहीं,

कहते हैं कि यह कुर्सी का सब दोष है,
बैठता है जो भी, वो खो जाता होश है,
आज तक ऐसी कोई सरकार नहीं हुयी,
बता सके अपना दुख जिसको कि हर कोई,

मलाल था उनको और था दुख का था साया,
इतने में ही रिश्वतखोरों पर सरकारी कहर छाया,
पकड़े गये वो लाखों की कालाबाजारी करते हुये,
कोशिश की रिश्वत देने की, पर कोई अफसर ना लिये,

कहने लगे कि ऐसा तो किसी ने अब तक नहीं किया,
छोटा मोटा खिलाकर हमने अपना हर धन्धा किया,
इसिलिए नहीं हमने चुना था इस सरकार को,
चलने ना दे हमारे ये काले व्यापार को।

Saturday, November 18, 2017

वो सुनते हैं बस निज मन की

क्यों जीते हो मरते मरते,
और नित नित शीश झुकाते हो,
नहीं लगे तुम्हारा मन फिर भी,
तुम कुछ भी करते जाते हो,
सोचते हो कि अच्छा होगा,
आने वाला कोई पल यूं ही,
कुछ भी ना अलग तुम करते हो,
बदलेगा जीवन क्यों ही,
जीवन हैं तुम्हारा पत्तों सा,
जो गिरा टूटकर डाली से,
नही जानते हो जाओगे कहां,
बस पड़े हुये हो खाली से,
जो बनना है तो बीज बनो,
खुद की तकदीर लिखो खुद से,
सीना है चीरो भूमि का,
तभी फूटेगा जीवन तुमसे,
सुनना ना कभी तुम औरों की,
वो देंगे तुम्हे निराशा ही,
जो बदलते हैं इस दुनिया को,
वो सुनते हैं बस निज मन की।