ये दुर्योधन की दुनिया है,
यहाँ तेरा कोई मान नहीं,
क्यों व्यर्थ पुकार करे है तू,
यहाँ कोई कृष्ण भगवान नहीं।
वो दौर दूसरा ही था जब ,
पांडव बैठे थे होकर मूक,
अब वही तुझे धिक्कारे हैं,
जब भी कोई करता है "चूक"।
क्यों भरोसा करती हो उस पर,
जिसने न कभी तेरा साथ दिया,
जब तूने अग्नि परीक्षा दी,
फिर भी तेरा परित्याग किया।
यह घड़ी फैसले की है अब,
क्या सहती रहोगी अत्याचार,
अब उठो लड़ो, यह जंग तेरी,
तभी पाओगी अपना अधिकार ।
यहाँ तेरा कोई मान नहीं,
क्यों व्यर्थ पुकार करे है तू,
यहाँ कोई कृष्ण भगवान नहीं।
वो दौर दूसरा ही था जब ,
पांडव बैठे थे होकर मूक,
अब वही तुझे धिक्कारे हैं,
जब भी कोई करता है "चूक"।
क्यों भरोसा करती हो उस पर,
जिसने न कभी तेरा साथ दिया,
जब तूने अग्नि परीक्षा दी,
फिर भी तेरा परित्याग किया।
यह घड़ी फैसले की है अब,
क्या सहती रहोगी अत्याचार,
अब उठो लड़ो, यह जंग तेरी,
तभी पाओगी अपना अधिकार ।