Saturday, January 18, 2014

तेरा मिलना

कोई लम्हा चुरा लूं दिल मेरा कहता रहे हर पल,
ना जाने फिर तेरा दीदार कब होगा ये जानूं ना । 
बस तेरे लिए ही दिल मेरा बेचैन कितना है,
बताऊँ कैसे ये तुझको, लफ्ज़ कर सकते नहीं ये बयां । 

आँखें बंद करता हूँ तो दिखता बस तेरा चेहरा,
आँखें खोलना का इसलिए अब मन नहीं होता । 
तेरी यादों में जीता हूँ, यादें साथ रहती हैं,
तेरा मिलना तो सालों में बस कुछ पल का है होता

 
तेरे मिलने की ख़ुशी होती है बहुत दिल को,
मगर कोशिश ये करता हूँ, मिलूं तुझसे कभी अब ना,
ऐसा है नहीं कि चाहता तुझको नहीं अब दिल,
मगर मिलकर बिछड़ने का गम मुझसे सहन नहीं होता ।