Thursday, February 19, 2015

जिए जा रहे हैं

नहीं है पता, खुद की मंजिल कहाँ है,
मगर फिर भी यूँ ही चले जा रहे हैं। 
डगर जो मिले, कोई आसां कहीं भी,
हर उस डगर को, चुने जा रहे हैं। 
मिले कोई मुश्किल, राहों में जब भी,
उसी पल में पथ से, मुड़े जा रहे हैं। 
ना जाने है करना, क्या निज जिंदगी में,
कहे कोई कुछ भी, किये जा रहे हैं। 
सफलता मिले ना, कभी जिंदगी में,
निराशा के घन में, घिरे जा रहे हैं। 
न समझे कि ये है, खुद की ही गलती,
वजह भाग्य पर, बस मढ़े जा रहे हैं। 
कभी न कभी मिल ही जाएगी मंजिल,
यही सोचकर बस, जिए जा रहे हैं ।