Sunday, March 21, 2021

दुनिया मुखौटे वाली है

पूछा पेड़ ने इक दिन मुझसे 
बोलो यह क्यों  होता है,
देते हैं फल जिसको ही हम 
वही कुठारी चुभोता है | 

मैंने बोलै वृक्षराज से 
दुनिया मतलब वाली है,
प्यार है इनकी जुबां पे लेकिन
दिल से बिलकुल खाली हैं| 

मिले फायदा जिससे जब तक,
पूछ तभी तक होती है,
काम निकल आये फिर समझो,
उसकी किस्मत फूटी है| 

करते हैं सत्कार अश्व का,
जीतता जब तक बाजी है,
चोट लगे लेकिन बाजी में,
मिलता फिर बस कसाई है | 

करना न विश्वास किसी पर,
दुनिया मुखौटे वाली है,
छुपा रखे हैं खंजर सबने,
कहते हैं हम माली हैं |  

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