Friday, December 1, 2017

पता ना चला कब बड़े हो गये

पता ना चला कब बड़े हो गये,
घुटनो के बल थे खड़े हो गये,
दुनिया ने ठोकर दी हमको ऐसी,
चले थे कहां और कहीं खो गये।

लगता था मंजिल बस सामने है,
होना बड़ा ही है मंजिल हमारी,
बचपन की ख्वाहिश इतनी सी थी कि,
आये त्वरित सी जवानी हमारी।

था सोचा जिएंगे मस्ती भरे दिन,
नहीं होगा कोई फिर टोकने को,
पता था नही कि ना मौका मिलेगा,
उलझती रहेगी बस जिन्दगी तो।

बची तो अभी भी ये जिन्दगी है,
जी लो जवानी बचपन के जैसे,
गुजर जायेंगे ये भी पल जिन्दगी के,
सुकूँ कीमती है, निरर्थक हैं पैसे।

Thursday, November 30, 2017

कुछ लम्हे फिर से है दिला दो

जीवन की इस दौड़ भाग में,
थक से गये हैं पांव हमारे,
थोड़ा सा गर जी लेंगे तो,
ना बिखरेंगे हम बेचारे,
नहीं चाहिये दौलत हमको,
बस थोडा सा सूकून दिला दो,
बीत गये जो पल जीवन के,
कुछ लम्हे फिर से है दिला दो।

मिल जाता सब कुछ जीवन में,
वक़्त निकल बस जाता है,
पीछे भागे जिन चीजों के,
रखा यूं ही रह जाता है,
आयी जब ये समझ हमेंं है,
नहीं जानते जायें कहां,
जीवन फिर से जहां हैं जी लें,
लेकर कोई चले वहाँ।

Thursday, November 23, 2017

जिन्दगी ही मिलेगी

बहुत कर लिया कुछ जो करना ना चाहा,
जीवन में छाया है अंधियारा साया,
बँधकर है रहते हो मजबूरियों में,
तन्हा से रहते हो अब दूरियों में।

ये मंजिल से रिश्ता है ऐसा हमारा,
बिना इसके हैं अपना जीवन गंवारा,
चाहो भी तो भूल सकते इसे ना,
मिलेगा बिना इसके तुझको सुकूँ ना।

कदम जो चले दूर इससे कभी भी,
वो खो जाते हैं ऐसा करते तभी ही,
हुआ है जो ऐसा तो रोको ना खुद को,
अभी वक़्त है तुम जो मुड़ जाओ गर तो।

कब तक अंधेरे में चलते रहोगे,
ना सम्भ्लोगे तुम और गिरते रहोगे,
ना मंजिल तुम्हे ना खुशी ही मिलेगी,
सम्भ्लोगे तो जिन्दगी ही मिलेगी।

Monday, November 20, 2017

काले व्यापार को

सरकार कुछ करती नहीं, यह जाप करते रहे,
थोडा आन्दोलन किया और शोर करते गये,
विचलित थे कि देश में कुछ करने का अवसर नही,
बिना रिश्वत दिये इक फ़ाईल भी हिलती नहीं,

कहते हैं कि यह कुर्सी का सब दोष है,
बैठता है जो भी, वो खो जाता होश है,
आज तक ऐसी कोई सरकार नहीं हुयी,
बता सके अपना दुख जिसको कि हर कोई,

मलाल था उनको और था दुख का था साया,
इतने में ही रिश्वतखोरों पर सरकारी कहर छाया,
पकड़े गये वो लाखों की कालाबाजारी करते हुये,
कोशिश की रिश्वत देने की, पर कोई अफसर ना लिये,

कहने लगे कि ऐसा तो किसी ने अब तक नहीं किया,
छोटा मोटा खिलाकर हमने अपना हर धन्धा किया,
इसिलिए नहीं हमने चुना था इस सरकार को,
चलने ना दे हमारे ये काले व्यापार को।

Saturday, November 18, 2017

वो सुनते हैं बस निज मन की

क्यों जीते हो मरते मरते,
और नित नित शीश झुकाते हो,
नहीं लगे तुम्हारा मन फिर भी,
तुम कुछ भी करते जाते हो,
सोचते हो कि अच्छा होगा,
आने वाला कोई पल यूं ही,
कुछ भी ना अलग तुम करते हो,
बदलेगा जीवन क्यों ही,
जीवन हैं तुम्हारा पत्तों सा,
जो गिरा टूटकर डाली से,
नही जानते हो जाओगे कहां,
बस पड़े हुये हो खाली से,
जो बनना है तो बीज बनो,
खुद की तकदीर लिखो खुद से,
सीना है चीरो भूमि का,
तभी फूटेगा जीवन तुमसे,
सुनना ना कभी तुम औरों की,
वो देंगे तुम्हे निराशा ही,
जो बदलते हैं इस दुनिया को,
वो सुनते हैं बस निज मन की।

Friday, May 19, 2017

अर्ज़ी इश्क की...

 एक  दर्द छिपा रहता है दिल में 
बेजुबान  बनके बैठा है महफ़िल में,
खुश है सभी मेरा साथ पा कर ,
न  जाने मेरा  ही दिल है उदास
कहता है मुझसे एक बात ह ख़ास 
बिछडोगे तो दर्द उनको भी होगा और तुमको भी,
फिर भी नियति क साथ रहकर खुश है सभी 
वो खुश है पर में हु उदास ,
क्युकी माना है मेने उन्हें सबसे ख़ास 
लोगो  को यह एहसास जिंदगी भर न हो ,
पर रहेंगे वो हमेशा हमारे साथ 
कब होगी ख़तम ये तलाश ,
बस यही एक गम है ख़ास 
तभी कहते ,,,,
एक दर्द छिपा बैठा  है  दिल में ||

आदत नहीं मेरी ....

 तुझसे रूठ जाना  आदत नहीं मेरी , 
तेरी  हँसी छीन कर  मुस्कुराना  आदत नहीं मेरी ,
तुझे हसकर रुलाना आदत नहीं मेरी ,
तुझसे वफ़ा के वादेकर बेवफाई करना आदत नहीं मेरी ,
जो तू रूठा है मुझसे कोई तो खता है मेरी ,
मेरी हर रूह हर सांस अब तो है तेरी ,
तुझसे रूठ जाना आदत नही मेरी ,
तेरी  हँसी  छीन क्र मुस्कुराना आदत नही मेरी ||

"न जाने क्यूँ" एक सवाल जिंदगी से इस लेख के लिए ....

 ना जाने क्यूँ 
मेरी शयरी तुझसे शुरू होती है 
न जाने क्यूँ 
मेरी शायरी तुझमे समाती है 
न जाने क्यूँ 
तेरे बिना सूना सा पड़ा मेरा अंगना है 
न जाने क्यूँ
 ये दिन ये रातें तनहा है तेरे बिना
न जाने क्यूँ
 तू खयालो में है तोह ये कलम है
न जाने क्यूँ