Thursday, November 30, 2017

कुछ लम्हे फिर से है दिला दो

जीवन की इस दौड़ भाग में,
थक से गये हैं पांव हमारे,
थोड़ा सा गर जी लेंगे तो,
ना बिखरेंगे हम बेचारे,
नहीं चाहिये दौलत हमको,
बस थोडा सा सूकून दिला दो,
बीत गये जो पल जीवन के,
कुछ लम्हे फिर से है दिला दो।

मिल जाता सब कुछ जीवन में,
वक़्त निकल बस जाता है,
पीछे भागे जिन चीजों के,
रखा यूं ही रह जाता है,
आयी जब ये समझ हमेंं है,
नहीं जानते जायें कहां,
जीवन फिर से जहां हैं जी लें,
लेकर कोई चले वहाँ।

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