Thursday, November 23, 2017

जिन्दगी ही मिलेगी

बहुत कर लिया कुछ जो करना ना चाहा,
जीवन में छाया है अंधियारा साया,
बँधकर है रहते हो मजबूरियों में,
तन्हा से रहते हो अब दूरियों में।

ये मंजिल से रिश्ता है ऐसा हमारा,
बिना इसके हैं अपना जीवन गंवारा,
चाहो भी तो भूल सकते इसे ना,
मिलेगा बिना इसके तुझको सुकूँ ना।

कदम जो चले दूर इससे कभी भी,
वो खो जाते हैं ऐसा करते तभी ही,
हुआ है जो ऐसा तो रोको ना खुद को,
अभी वक़्त है तुम जो मुड़ जाओ गर तो।

कब तक अंधेरे में चलते रहोगे,
ना सम्भ्लोगे तुम और गिरते रहोगे,
ना मंजिल तुम्हे ना खुशी ही मिलेगी,
सम्भ्लोगे तो जिन्दगी ही मिलेगी।

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