Friday, May 19, 2017

अर्ज़ी इश्क की...

 एक  दर्द छिपा रहता है दिल में 
बेजुबान  बनके बैठा है महफ़िल में,
खुश है सभी मेरा साथ पा कर ,
न  जाने मेरा  ही दिल है उदास
कहता है मुझसे एक बात ह ख़ास 
बिछडोगे तो दर्द उनको भी होगा और तुमको भी,
फिर भी नियति क साथ रहकर खुश है सभी 
वो खुश है पर में हु उदास ,
क्युकी माना है मेने उन्हें सबसे ख़ास 
लोगो  को यह एहसास जिंदगी भर न हो ,
पर रहेंगे वो हमेशा हमारे साथ 
कब होगी ख़तम ये तलाश ,
बस यही एक गम है ख़ास 
तभी कहते ,,,,
एक दर्द छिपा बैठा  है  दिल में ||

आदत नहीं मेरी ....

 तुझसे रूठ जाना  आदत नहीं मेरी , 
तेरी  हँसी छीन कर  मुस्कुराना  आदत नहीं मेरी ,
तुझे हसकर रुलाना आदत नहीं मेरी ,
तुझसे वफ़ा के वादेकर बेवफाई करना आदत नहीं मेरी ,
जो तू रूठा है मुझसे कोई तो खता है मेरी ,
मेरी हर रूह हर सांस अब तो है तेरी ,
तुझसे रूठ जाना आदत नही मेरी ,
तेरी  हँसी  छीन क्र मुस्कुराना आदत नही मेरी ||

"न जाने क्यूँ" एक सवाल जिंदगी से इस लेख के लिए ....

 ना जाने क्यूँ 
मेरी शयरी तुझसे शुरू होती है 
न जाने क्यूँ 
मेरी शायरी तुझमे समाती है 
न जाने क्यूँ 
तेरे बिना सूना सा पड़ा मेरा अंगना है 
न जाने क्यूँ
 ये दिन ये रातें तनहा है तेरे बिना
न जाने क्यूँ
 तू खयालो में है तोह ये कलम है
न जाने क्यूँ