कहते हैं कुछ, करते कुछ हैं,
ये दुनिया बड़ी निराली है ।
बस होंठ बड़े हैं मगर यहाँ,
दिल सबका बड़ा ही खाली है ।
ये दुनिया बड़ी निराली है ।
बस होंठ बड़े हैं मगर यहाँ,
दिल सबका बड़ा ही खाली है ।
परवाह नहीं है दुनिया की,
बस खुद की जेबें भरते हैं ।
दस्तूर अजब है दुनिया का,
कि फिर भी लोग तरसते हैं ।
देने को हाथ बढ़ते ही नहीं,
लेने को भीड़ यहाँ भारी हैं ।
पैसों से बनी इस दुनिया में,
हर एक सख्स भिखारी है ।
है वक़्त अभी कि बदलें हम,
वरना एक दिन ऐसा आएगा ।
जब मदद नाम का शब्द कभी,
इतिहास में लिखा जायेगा ।
इंसान वही जो परहित कर,
खुद्गिरी से ऊपर उठ पाए ।
बस लेने वालों का ये झुण्ड,
इंसान नहीं कहलायेगा ।