Friday, November 28, 2014

ढूँढोगे ख़ुशी गर छोटी छोटी बातों में

गम भी मिले तो भी सह लो ,
मुस्कुराते रहो जिंदगी के वास्ते,
कांटे और फूल मिलते हैं रहते,
आसान नहीं जिंदगी के रास्ते ।

कभी शोरगुल से भरी है जिंदगी,
कभी है इसमें गहरा सन्नाटा,
गुजर जाते पल हजारों कभी यूँही,
कभी एक पल जैसे थम सा जाता । 

मुस्कुराकर बिता लो पल जो मिले हैं,
ये जो गुजरे तो वापस न आएंगे,
करेंगे जो आज इनको बर्बाद फिर,
बाद में वो लोग बस पछतायेंगे। 

सोचोगे गर जिंदगी ने दिया नहीं कुछ भी,
कभी भी खुशियां नहीं तुम पाओगे,
ढूँढोगे ख़ुशी गर छोटी छोटी बातों में,
जीवन सारा खुशियों से भरा पाओगे ।

Monday, November 24, 2014

गर सीख ले कुछ इंसान अभी

खुशियां इंसान के जीवन में ,
बस कुछ पल की मेहमान हैं । 
है ख़ुशी आज जिस हाल में,
कल उसी में हम परेशान हैं । 

है रीत यही अभिलाषा की,
जो पूरी होती कभी नहीं,
जब भी पूरी हो जाती यह,
फिर से बढ़ जाती कई गुनी । 

लालच घर करके बैठा है,
मन में सभी इंसानों के,
जब पाएंगे पूरा ये जहाँ,
तभी प्रसन्न होंगे मन ये । 

जानवर हैं बेहतर हमसे तो,
जो चाहें वही जो जरुरी है,
होते जब उदर भरे इनके,
हिंसा से रखते दूरी ये। 

यह अच्छापन जानवरों का,
न भाता कभी इंसानों को,
मन को तसल्ली देते हैं,
कहकर जानवर "मनुज-हैवानों" को । 

गर सीख ले कुछ इंसान अभी,
थोड़ा सा कुछ जानवरों से,
नहीं मारेगा एक दूजे को,
नरभक्षी नहीं जो कोई है ।