जिंदगी से थक कर हार मान लेने वालों,
कुछ न कर सकने का मन बनाकर क्या होगा !
इंतजार करते रहोगे खुशियों का बस तुम,
बोया नहीं कभी बीज फिर पौधा कैसे होगा!
रोते तो बहुत हैं, कठिनाई के वक़्त पर,
खुश हो जाते भाग्य से मिली फूटी कौड़ी पाकर,
पर सोचो कुछ खाकर गर बिताना हो दिन भर ,
फिर सूखी एक रोटी बस खाने से क्या होगा !
कुछ पाना है जीवन में, तो कुछ करना ही पड़ेगा,
मंजिल का रास्ता, पसीना बहाकर ही खुलेगा,
इन्तजार करते रहोगे दरवाजा खुद ही खुलने का,
फिर यह इन्तजार कभी भी ख़त्म ही नहीं होगा !
कुछ न कर सकने का मन बनाकर क्या होगा !
इंतजार करते रहोगे खुशियों का बस तुम,
बोया नहीं कभी बीज फिर पौधा कैसे होगा!
रोते तो बहुत हैं, कठिनाई के वक़्त पर,
खुश हो जाते भाग्य से मिली फूटी कौड़ी पाकर,
पर सोचो कुछ खाकर गर बिताना हो दिन भर ,
फिर सूखी एक रोटी बस खाने से क्या होगा !
कुछ पाना है जीवन में, तो कुछ करना ही पड़ेगा,
मंजिल का रास्ता, पसीना बहाकर ही खुलेगा,
इन्तजार करते रहोगे दरवाजा खुद ही खुलने का,
फिर यह इन्तजार कभी भी ख़त्म ही नहीं होगा !