एक हसीं जिंदगी ग़मगीन बन जाती है ,
जिस्म से रूह तक बस तड़प रह जाती है,
किसी शैतान के दुस्कर्मो की सजा,
जब कोई मासूम अबला पाती है ।
भीड़ आयी श्रद्धांजलि देने, उसको जो ये जुल्म सही,
लगा कि जैसे जाग गया, सोता सा इंसान कहीं,
ये खबर देखकर पढ़कर के, दिल को मेरे कुछ सुकून हुआ,
लगा कि ये शुरूआत हुयी, होगा न अब जो अभी तक हुआ,
पर नीचे की छोटी सी, खबर ने ये सपना चूर किया,
तीन बरस की बच्ची का, फिर से आज दुस्कर्म हुआ ।
जिस्म से रूह तक बस तड़प रह जाती है,
किसी शैतान के दुस्कर्मो की सजा,
जब कोई मासूम अबला पाती है ।
भीड़ आयी श्रद्धांजलि देने, उसको जो ये जुल्म सही,
लगा कि जैसे जाग गया, सोता सा इंसान कहीं,
ये खबर देखकर पढ़कर के, दिल को मेरे कुछ सुकून हुआ,
लगा कि ये शुरूआत हुयी, होगा न अब जो अभी तक हुआ,
पर नीचे की छोटी सी, खबर ने ये सपना चूर किया,
तीन बरस की बच्ची का, फिर से आज दुस्कर्म हुआ ।