Friday, May 19, 2017

"न जाने क्यूँ" एक सवाल जिंदगी से इस लेख के लिए ....

 ना जाने क्यूँ 
मेरी शयरी तुझसे शुरू होती है 
न जाने क्यूँ 
मेरी शायरी तुझमे समाती है 
न जाने क्यूँ 
तेरे बिना सूना सा पड़ा मेरा अंगना है 
न जाने क्यूँ
 ये दिन ये रातें तनहा है तेरे बिना
न जाने क्यूँ
 तू खयालो में है तोह ये कलम है
न जाने क्यूँ 

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