ना जाने क्यूँ
मेरी शयरी तुझसे शुरू होती है
न जाने क्यूँ
मेरी शायरी तुझमे समाती है
न जाने क्यूँ
तेरे बिना सूना सा पड़ा मेरा अंगना है
न जाने क्यूँ
ये दिन ये रातें तनहा है तेरे बिना
न जाने क्यूँ
तू खयालो में है तोह ये कलम है
न जाने क्यूँ
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