Wednesday, December 16, 2015

कुछ तुम कह दो

कुछ मैं कहूँ और कुछ तुम कह दो,
इस ख़ामोशी को अब ख़ामोशी न रहने दो,
दिल में जो एहसास है उसे दिल में क्या रखना,
शब्दों की धारा इन लबों से बहने दो । 

चलते हैं हमसफ़र साथ में जब,
चुप्पी राहों को कठिन ही बनाये,
दो लफ्ज चल जाए उस दूरी को,
जो कोई और भी चल न कर पाये,
मन में जो आये उस लबों पे रखो,
दिल की बातों को दिल में रहने दो,
कुछ मैं कहूँ और कुछ तुम कह दो,
इस ख़ामोशी को अब ख़ामोशी न रहने दो,

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