कहते है सपने देखता हूँ बहुत मैं,
सोचता हूँ बहुत ऊंचा उड़ने की,
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की,
पंख नहीं है आज परवाह नही है,
उड़ने के लिए पंख नहीं चाहिए,
बस थोड़ा हौसला ही काफी है,
उड़ने को एक मन निडर चाहिए,
आये कोई तूफ़ान तो आ जाने दो,
गिरे गर आसमान तो गिर जाने दो,
उसी तूफ़ान को अपने पंख बना लूंगा,
मौत अगर टकराये तो टकराने दो ।
पाना है वही जो लगता नामुमकिन है,
कोशिश करे कोई कितना भी रोकने की,
नजर है वहीँ जहाँ मंजिल मेरी है,
फुर्सत नहीं और कुछ भी सोचने की ।
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की।
सोचता हूँ बहुत ऊंचा उड़ने की,
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की,
पंख नहीं है आज परवाह नही है,
उड़ने के लिए पंख नहीं चाहिए,
बस थोड़ा हौसला ही काफी है,
उड़ने को एक मन निडर चाहिए,
आये कोई तूफ़ान तो आ जाने दो,
गिरे गर आसमान तो गिर जाने दो,
उसी तूफ़ान को अपने पंख बना लूंगा,
मौत अगर टकराये तो टकराने दो ।
पाना है वही जो लगता नामुमकिन है,
कोशिश करे कोई कितना भी रोकने की,
नजर है वहीँ जहाँ मंजिल मेरी है,
फुर्सत नहीं और कुछ भी सोचने की ।
गलत है क्या जरा मुझको बताओ,
ख़्वाहिश है गर आसमां छूने की।
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