Thursday, August 6, 2015

कुछ पल की यह जिंदगानी है

कुछ पल की यह जिंदगानी है,
इक छोटी अधूरी कहानी है,
हर लम्हा जी लो जी भर कर,
वापस न फिर यह आनी है । 
कुछ पल की यह जिंदगानी है। 
 
क्या पाओगे तुम रोकर के,
बस खो दोगे कुछ लम्हे ये,
जो मिले हैं तुम्हे वो कम ही हैं,
क्यों बिताओ न खुश रहकर के,
ख़ुशी मिलती नही बस रोने से,
यह आदत इसकी पुरानी है,
कुछ पल की यह जिंदगानी है.। 

कोई गम भी दे तो सह लेना,
कभी आँखों से पानी गिराना मत,
कर लोगे तुम बस इतना अगर,
युहीं जायेगा ये सफर फिर कट,
गम और ख़ुशी दो पहलू हैं,
जीवन की यही निशानी है,

कुछ पल की यह जिंदगानी है.।

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