Monday, May 25, 2020

क्या मौका मिला है हमको

ये बहुत दिनों के बाद है,
बस कलम है और किताब है,
कुछ लिखने का अज मन है,
कुछ गुनगुन करते हम हैं,
कुछ दिल मे आती धुन है,
और वातावरण ये सुन है।

शुरुआत करुँ मैं कहाँ से,
समझ मुझे नहीं आता,
ये चुप सा नजारा बाहर,
है पता नहीं क्यों भाता।
कुछ थम सी गयी ये जिंदगी,
मुझको अच्छी लगती अब,
पर डर सा लगता है फिर,
ना जाने गुजर जाए पल कब।

मन में उलझन है मेरे 
कल हलचल का था कैसा,
वो अच्छा था या अब है,
जो होना चाहए जैसा।
आगे बढ़ने की धुन में,
क्या क्या खोया था हमने,
क्या मौका मिला है हमको,
वापस से सही सब करने।

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